गीत
आओ आज वहां चलते हैं |
जहां प्यार की गंगा बहती , सब हंस कर मिलते जुलते हैं |
आओ आज वहां चलते हैं
छोटे छोटे घर झौंपड़ियाँ ,
छोटे छोटे स्वप्न सजीले | बस कैसे भी हो मैं कर दूं , कर
अपनी बिटिया के पीले |
हर दिन बस कल
की चिंता में ,
मिट्टी के
चूल्हे जलते हैं |
कलियों फूलों जैसा बचपन भविष्य खोजता गलियारों में | भाल लिखी रेखाएं कहतीं ,
सब कुछ गुम है अंधियारों में | मन को घुटन , पाँव को छाले , आँखों को आंसू मिलते हैं |
कहीं जैन मन्दिर , गुरु द्वारे ,
साईं बाबा शिरडी
वाले |
कहीं चर्च, शिव मन्दिर,
मस्जिद ,
बौद्ध मठों के भवन
निराले |
कहीं न कोई भेद मनों
में ,
बस
मीठे रिश्ते पलते हैं |
कोई धर्म जाति हो कोई , पर मन गंगा जैसा निर्मल |
कितने भी अभाव सन्मुख हों ,
डिगता नहीं सत्य का आँचल |
श्रम- मन्दिर की पूजा ,जिसमें -
आशा
के दीपक बलते हैं |