४ गीत
सखि
! उनको पाषाण न कहना |
इन चंचल नयनों से छिप कर ,
वह मेरे मन में रहते हैं |
मेरी सिसकी , मेरी आहें ,
सब चुपके चुपके सहते हैं |
तुम
मेरे नयनों से छिपने को उनका अभिमान न कहना |
वह मेरे नयनों की उज्ज्वल ,
एक बूँद से करुण
सजल हैं |
वह मेरे प्राणों के झिलमिल --
दीपक से सस्नेह विकल हैं |
तुम मेरे प्राणों
में रहने वाले को निष्प्राण न कहना |
वह मेरी आशा से भोले ,
वह अभिलाषा से अल्हड़ हैं |
वह मेरी चाहों से चंचल ,
वह मेरी साधों से दृढ हैं |
तुम मेरे प्रति नीरवता को उनका निष्ठुर मान न
कहना |
वह मेरी पीड़ा से मादक ,
वह मेरी सुधि से कोमल हैं |
वह मेरे सपनों से सुन्दर ,
वह मेरे मन से निश्छल हैं |
तुम
मेरे संसृति के चिर पहचाने को अनजान न कहना |
रचयिता – कुसुम सिन्हा
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत ह्रदय से आभार भाई साहब |
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी रचना को विशेष सम्मान देने के लिए |
जवाब देंहटाएंशानदार।
जवाब देंहटाएंशिवम जी बहुत बहुत आभार |
हटाएंवाह बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंमनके सुंदर एहसास।
बहुत बहुत धन्यवाद |
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लाजवाब सृजन।
सुधा जी बहुत बहुत धन्यवाद |
हटाएंतुम मेरे प्रति नीरवता को उनका निष्ठुर मान न कहना |
जवाब देंहटाएंवह मेरी पीड़ा से मादक ,
वह मेरी सुधि से कोमल हैं |
वह मेरे सपनों से सुन्दर ,
वह मेरे मन से निश्छल हैं |
तुम मेरे संसृति के चिर पहचाने को अनजान न कहना |
कुसुम जी आप एक उच्च स्तरीय रचनाकार है आपकी रचना विश्लेषण से विरत संश्लेषण को विवश करती है आपकी अगली रचना के इंतजार में।
धन्यवाद आलोक जी एक सुंदर प्रस्तुति को भेंट करने के लिए।
सादर।
सुंदर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकोमल प्रेम भाव का सुन्दर चित्रण ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ...
नाशवा जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसखि ! उनको पाषाण न कहना |
जवाब देंहटाएंइन चंचल नयनों से छिप कर ,
वह मेरे मन में रहते हैं |
मेरी सिसकी , मेरी आहें ,
सब चुपके चुपके सहते हैं |
तुम मेरे नयनों से छिपने को उनका अभिमान न कहना |
आदरणीय आलोक जी, कुसुम दीदी की इस रचना में अनुराग के अटूट बंध है। हर शब्द प्रेम से भरी नायिका के सर्वस्व समर्पण का परिचय देता है। इतनी सुंदर रचना साहित्य की अनमोल थाती है। कोटि आभार इस सुंदर रचना को साझा करने के लिए 🙏🙏
बहुत बहुत आभार धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअलौकिक प्रेम से सजा गीत मन को शांति देता है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..
अर्पिता जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंबहुत सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंगिरिजा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंइस गीत को पढ़कर जो सुखद अनुभूति हुई है मुझे, वह अवर्णनीय है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार अच्छी रुचिकर टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत सुंदर..मन को छूती हुई रचना..
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