यह रचना १९७० के दशक की है | जब
सारे देश में परिवार नियोजन की योजना अपने चरम पर थी |
गीत
सारे जग की खुशी तुम्हारे घर
आकर मुस्कायेगी |
जीवन की बगिया के माली ,
एक गुलाब लगाओ |
महके सारी धरती जिससे ,
ऐसा फूल खिलाओ |
सारे जग की गंध तुम्हारी गली
गली महकाएगी |
तारों से तो रात अंधेरी ,
एक चन्द्रमा लाओ |
कोना कोना सोना कर दे , ऐसा सूर्य उगाओ |
नन्हीं किरन तुम्हारा आंगन रोली
से रंग जायेगी |
अनगिनती ग्रंथों से मत ,
जीवन का बोझ बढाओ |
मानस एक एक गीतांजलि ,
रचो , अमर हो जाओ |
सारे जग की कीर्ति तुम्हारे घर
घर गीत सुनाएगी |
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(०६ -०९-२०२१) को
'गौरय्या का गाँव'(चर्चा अंक- ४१८०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, जो आज भी प्रासंगिक है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार गगन जी सार्थक टिप्पणी के लिए ।
जवाब देंहटाएंअमर कृति है ये ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार अमृता जी
हटाएंवाह ! सुंदर नीति सा मोहक शाश्वत सा सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई आलोक जी।
जीवन पथ पर इतना सरल सहज हो जाएं तो
जीवन धन्य हो जाए।
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद आभार कुसुम जी सुन्दर टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत ही शानदार रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार मनीषा जी
हटाएंवाह!सराहनीय सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार धन्यवाद अनीता जी
हटाएंबहुत बढ़िया रचना है सर। आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार वीरेन्द्र जी सुन्दर टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार मनोज जी |
जवाब देंहटाएंयह रचना तो कालजयी है आलोक जी। इसकी सार्थकता तो सदा रहेगी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार जितेन्द्र जी सुन्दर टिप्पणी के लिए |
हटाएंलाजबाब रचना,आलोक भाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार ज्योति जी सुन्दर टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार हरीश जी
जवाब देंहटाएंक्या बात है! बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंअनघ जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमधुलिका जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण बहुत प्ररक रचना है ...
जवाब देंहटाएंआशा का संचार करते फूल, कलि, जीवन में भी आनंदित कर देते हैं ...
नासवां जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत खूब बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंशशि जी , बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंअनगिनती ग्रंथों से मत ,
जवाब देंहटाएंजीवन का बोझ बढाओ |
मानस एक एक गीतांजलि ,
रचो , अमर हो जाओ |
सारे जग की कीर्ति तुम्हारे घर घर गीत सुनाएगी
वाह!!!!
बहुत ही सारगर्भित...
उत्कृष्ट सृजन।
बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुधा जी
जवाब देंहटाएंउत्साह पूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंशारदा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
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