गुरुवार, 28 जनवरी 2021

मैंने आंसू से कितने दीप जलाये

                                                        गीत

                      मैंने आँसू से कितने दीप जलाये , तुम क्या जानो ?

                         पल गिन गिन पन्थ निहारा ,

                         नयनों के दीप जला कर |

                         मन की खिलती आशा से ,  

                         नव वन्दनवार सजाकर |

             मैंने जग जगकर कितने कल्प बिताये , तुम की जानो ?

                         अविरल आँहों की झड़ में ,

                         प्राणों की व्यथा न जानी | 

                         नयनों से सिसक सिसककर ,

                         बिखराये गीत कहानी |

            गीले पट में कितने इतिहास छिपाए , तुम क्या जानो ?

                         युग युग की निरत प्रतीक्षा -

                         में , साधें सिसकी रोई |

                         दृग के सपनों की दुनियाँ ,

                         अपने आंसू से धोई |    

            मैंने रच रचकर कितने विश्व मिटाए , तुम क्या जानो ?

                         तुमने समझा भावुक हूँ ,

                         अल्लड हूँ , मोहमयी भी |

                         बिन कारण हँस- रो देती , 

                         शैशव की स्वप्नमयी सी |

            इन सपनों में कितने अवसाद छिपाए , तुम क्या जानो ?

 

             रचना – कुसुम सिन्हा

 

 

 

 

 

 

 

28 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण ....
    लाजवाब गीत

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  2. कुसुम सिन्हा जी की यह रचना लाजवाब है। आपको बधाई।

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(३०-०१-२०२१) को 'कुहरा छँटने ही वाला है'(चर्चा अंक-३९६२) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  4. अनीता जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  5. वाह! सुंदर हृदय स्पर्शी भाव , विरह श्रृंगार का अभिनव सृजन , सुंदर शब्द संयोजन ।
    सस्नेह।

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  6. कुसुम कोठारी जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  7. अत्यंत भावपूर्ण काव्य-सृजन । मर्मस्पर्शी ।

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  8. जितेन्द्र जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद

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  9. भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति... हृदयस्पर्शी सृजन ।

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  10. शान्तनु जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद

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  11. मैंने रच रचकर कितने विश्व मिटाए ,
    तुम क्या जानो ?
    नारी मन की वेदना का बहुत ही मर्मस्पर्शी चित्रण आदरणीय आलोक जी। कुसुम दीदी की भावपूर्ण रचनाएँ मन को अनायास छू जाती हैं। हार्दिक आभार साहित्य की ये अनमोल थाती पाठकों के सुपुर्द करने के लिए। 🙏🙏

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  12. पता नहीं क्यों रीडिंग लिस्ट में आपकी नई रचनाएँ नज़र नहीं आती????

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  13. यह शिकायत कई और प्रिय जनों ने भी की है | पर मैं इसका कारण कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ | मेरा विचार है एक बार फिर मेरा ई मेल फिर फॉलो करके देखो और सफलता मिल जाए तो मुझे भी अवश्य बताना |

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  14. ज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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