गीत
कब तक आशा –दीप जलाऊँ
,
इस अल्लढ़ मन को समझाऊँ |
जनम जनम
से मन की राधा ,
खोज रही अपना मन भावन |
तृष्णा नहीं मिटी दर्शन की ,
रीत गया यह सारा जीवन |
अब कब तक उस श्याम बरन को ,
नित श्वासों का अर्घ्य चढाऊं |
सोचा
था मन के उपवन में ,
रंग बिरंगे फूल खिलेंगे |
जब जब चाँद हंसेगा नभ में ,
सारे सुख भू पर उतरेंगे |
अब कब तक कल्पना कुन्ज में ,
गाऊँ , चातक सा अकुलाऊँ |
जाने कब से पागल सुधियाँ ,
बैठीं पथ में पलक बिछाये |
कुछ अतृप्ति , कुछ पीर
संजोकर ,
स्वागत में दृग दीप जलाये |
अब कब तक उस भोर किरन की ,
सतत प्रतीक्षा करता जाऊं |
स्वरचित – आलोक सिन्हा
जनम जनम से मन की राधा ,
जवाब देंहटाएंखोज रही अपना मन भावन |
तृष्णा नहीं मिटी दर्शन की ,
रीत गया यह सारा जीवन |
अब कब तक उस श्याम बरन को ,
नित श्वासों का अर्घ्य चढाऊं |..आध्यात्मिक भाव से ओतप्रोत सुंदर कविता..
जिज्ञासा जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद अच्छी टिप्पणी के लिए।
हटाएंजाने कब से पागल सुधियाँ ,
जवाब देंहटाएंबैठीं पथ में पलक बिछाये |
कुछ अतृप्ति , कुछ पीर संजोकर ,
स्वागत में दृग दीप जलाये |
अब कब तक उस भोर किरन की ,
सतत प्रतीक्षा करता जाऊं |
बहुत ही मार्मिकता से प्रतीक्षारत मन की व्यथा बयाँ करती भावपूर्ण रचना आदरणीय आलोक जी | भावों की समृद्धता में आपका कोई सानी नहीं | हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई | सादर
रेणु की बहुत बहुत आभार धन्यवाद इस सुन्दर टिप्पणी के लिए ।
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार धन्यवाद , इस विशेष सम्मान के लिए |
हटाएंबहुत सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा एक न एक दिन जरूर ख़त्म होती है, बस निरंतर आस बनी रहनी चाहिए दिल में और निराशा हावी नहीं हो मन में
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आध्यात्म भरी प्रस्तुति
बहुत आभार धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
हटाएंमेरे लिए ऐसी काव्य-रचनाएं टिप्पणी करने के लिए नहीं, चुपचाप रहकर अंदर-ही-अंदर महसूस करने के लिए होती हैं आलोक जी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत
जवाब देंहटाएंसरिता जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंबहुत खूब,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार ज्योति जी
जवाब देंहटाएंप्रतिक्षारत मन की पीड़ा को बहुत ही सुंदरता से व्यक्त किया है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार ज्योति जी
जवाब देंहटाएंमन की व्यथा बयाँ करती रचना
जवाब देंहटाएंसंजय जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
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