गीत
लो पंछी नीड़ों से जाते |
पूरब ने बिखराई रोली |
चल दी अलमस्तों की टोली |
चलते साथ प्रभाती गाते |
लो पंछी नीड़ों से जाते |
रजनी भर के सपनें संग हैं |
साँसों से प्रिय अपने संग हैं |
राह कटेगी गाते गाते |
लो पंछी नीड़ों से जाते |
पंखों में साहस है गति है |
जीवन का पर्याय प्रगति है |
जो चलते वे मंजिल पाते |
लो पंछी नीड़ों से जाते |
वाह।🌻👌
जवाब देंहटाएंशिवम जी बहुत बहुत धन्यवाद हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार भाई साहब
जवाब देंहटाएंयह छोटा-सा गीत आबालवृद्ध सभी के लिए है। अभिनंदन आलोक जी।
जवाब देंहटाएंजितेद्र जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद टिप्पणी के लिए दिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार संगीता जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंअति मनभावन कृति ।
जवाब देंहटाएंअमृता जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंपंखों में साहस है गति है |
जवाब देंहटाएंजीवन का पर्याय प्रगति है |
जो चलते वे मंजिल पाते |
लो पंछी नीड़ों से जाते |//////
बहुत सुंदर प्रेरक और भावपूर्ण गीत आदरणीय आलोक जी | सादर
बहुत बहुत धन्यवाद आभार
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