गुरुवार, 27 जनवरी 2022

तीन मुक्तक

 

 

                                           मुक्तक

 

                          आंसुओं के घर शमा रात भर नहीं जलती ,

                          आंधियां हों तो कली डाल पर नहीं खिलती |

                          धन से हर चीज पाने की सोचने वालो ,

                          मन की शांति किसी दुकान पर नहीं मिलती |

                                                                                                                           

                         जिनमें कबीर सी निर्भयता , क्या वो स्वर अब भी मिलते हैं ,

                         जिनमें गांधी सी जन - चिंता , क्या वो उर अब भी मिलते है |

                        कितना भी हो बड़ा प्रलोभन , शीर्ष सुखों के दुर्लभ सपने ,

                         जो न झुके राणा प्रताप से , क्या वो सिर अब भी मिलते हैं |

                                          

 

                           धनवान बनने के लिए क्या नहीं करते हैं लोग ,

                           हर खास पद उनको मिले ,जाल नित बुनते हैं लोग | 

                           पर ये जीवन ही नहीं , कई जन्म संवरते जिससे ,

                           नेक इन्सान बनने की , कितना सोचते हैं लोग |

 

                      आलोक सिन्हा

14 टिप्‍पणियां:

  1. तीनों मुक्तक बहुत शानदार हैं , सार्थक अर्थ लिए।
    बहुत सुंदर सृजन।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद आभार कुसुम जी

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  3. बहुत ही सुंदर मुक्तक एक से बढ़कर एक।
    पता नहीं कैसे निगाह से छूट गए।
    सादर

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद आभार अनीता जी

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (07-02-2022 ) को 'मेरी आवाज़ ही पहचान है गर याद रहे' (चर्चा अंक 4334) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  6. बहुत बहुत धन्यवाद आभार रवीन्द्र जी

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  7. बहुत ही शानदार मुक्तक, सटीक और सारगर्भित भी ।

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  8. बहुत ही सुन्दर सार्थक एवं लाजवाब मुक्तक
    वाह!!!

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  9. बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुधा जी

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद आभार खरे साहब

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  11. बहुत बहुत धन्यवाद आभार विश्व मोहन जी

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