गीत
कब से मौन पड़ी है वंशी श्याम तुम्हारी |
तन गोकुल का गाँव ,
नयन
कालिन्दी कूल किनारे |
गुमसुम
बैठीं हैं राधा सी ,
सुधियाँ सब मन मारे |
तुम आओ तो रास रचाये , हर धड़कन मतवारी |
मुझको कब था ज्ञान ,
कि इसके
स्वर हैं पास तुम्हारे |
जैसे काया तो मेरी ,
पर सारे श्वांस तुम्हारे |
तुम्हीं बजाओ तभी बजेगी , यह कैसी लाचारी |
बहुत सुंदर और बांसुरी सी गति हुई रचना,आज के परिदृष्य पर भी चोट कर गई,आपको मेरा सादर अभिवादन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार जिज्ञासा जी ।
जवाब देंहटाएंशिवम जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंमुझको कब था ज्ञान ,
जवाब देंहटाएंकि इसके स्वर हैं पास तुम्हारे |
जैसे काया तो मेरी ,
पर सारे श्वांस तुम्हारे |
सुंदर सृजन
सरिता जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंमुझको कब था ज्ञान ,
जवाब देंहटाएंकि इसके स्वर हैं पास तुम्हारे |
जैसे काया तो मेरी ,
पर सारे श्वांस तुम्हारे |
वाह,बहुत सुंदर।
ज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंस्वर कान्हा के हों तो ... वायु प्राण कान्हा के हों तो अमर नाद गूंजेगा ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना ...
नासवा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंमुझको कब था ज्ञान ,
जवाब देंहटाएंकि इसके स्वर हैं पास तुम्हारे |
जैसे काया तो मेरी ,
पर सारे श्वांस तुम्हारे
तुम्हीं बजाओ तभी बजेगी , यह कैसी लाचारी।
कान्हा ने बंशी बजानी छोड़ी तो जीवन के सुर ही मौन हो रहे हैंअब मना से सभी कान्हा को...
बहुत ही लाजवाब सृजन
वाह!!!
सुधा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंश्याम की वंशी की तान महज़ ध्वनि नहीं एक अलौकिक अनहद नाद है। बहुत मीठी कविता। आभार और बधाई!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार भाई साहब
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी! बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंहृदय में उतरकर उसकी तलहटी पर पैठ जाएं, ऐसे उद्गार एवं इतने सुन्दर छंदबद्ध शब्दों में! चाहे जितनी बार भी पढ़ा (या गाया) जाए, मन न भरे, ऐसा गीत है यह्।
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंकान्हा की बंसी तो बस राधा और गोपियों यानि गोकुल तक ही सीमित रही । सुंदरता से लिखे हृदय के उद्गार ।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकब से मौन पड़ी है वंशी श्याम तुम्हारी |
जवाब देंहटाएंएक बेबस मन की विकल पुकार आदरणीय आलोक जी | श्याम की बंशी आम जन का मधुर सपना बनकर कहीं खो -सी गयी है |
रेणु जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार टिप्पणी के लिए।
जवाब देंहटाएंमधुर गुंजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार अमृता जी
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