सरस्वती वन्दना
मात तू शारदे ,
विघ्न सब टार दे ,
अश्रु अंजुरी भरे , कर रहा वन्दना |
जीवन संघर्ष का इक पर्याय है ,
आंसुओं , हर्ष का एक अध्याय है |
हर नयन में हैं सौ सौ सपने मधुर ,
नियति के सामने किन्तु असहाय है |
तू मुझे ज्ञान दे ,
एक वरदान दे ,
हर सुख दुःख में समरस रहे भावना |
पात्र भरता रहे , मैं लुटाता चलूँ ,
दुःख सभी के ह्रदय से लगाता चलूँ |
पग कोई न मंजिल से पहले रुके ,
शूल हर राह के मैं हटाता चलूँ |
तू प्रणय भाव दे ,
नित नया चाव दे ,
हर सिक्त पलक मेरी बने प्रेरणा |
तन दस द्वार वाला माटी का सदन
पंचशर कर रहे हर घड़ी आक्रमण |
समर्पण को नित नये प्रस्ताव हैं ,
मृग मरीचिका में भटक जाये न मन |
तू मुझे शक्ति दे ,
भव-निरासक्ति दे ,
अविचल बस तेरी मैं करूं साधना |
स्व रचित मौलिक – आलोक सिन्हा शब्दार्थ :- १ दस द्वार - दस इन्द्रियां
२ पंचशर – कामदेव के पांच बाण – काम क्रोध लोभ मोह
तृष्णा
३ प्रस्ताव – प्रलोभन
४ मृग मरीचिका – सांसारिक आकर्षण
आदरणीय सिन्हा जी,सरस्वती जी की महिमा बताती, आपकी ये सुंदर रचना मन मोह गई, मां सरस्वती,आपकी और सबकी मनोकामना पूर्ण करें,यही प्रार्थना है, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह।
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा जी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती जी की पावन वंदना, साथ ही जगत उत्थान की सुंदर भावना, परोपकार की कामना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर पावन सृजन।
बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंमां सरस्वती का आवाहन एवं वंदन मन के निस्तारण हेतु...
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब,अद्भुत .....
वाह!!!
सुधा जी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंमन मोह लिया इस वंदना ने आलोक जी।
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती की बहुत ही सुंदर वंदना।
जवाब देंहटाएंज्योति जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार स्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंहर सिक्त पलक मेरी बने प्रेरणा |
जवाब देंहटाएंतन दस द्वार वाला माटी का सदन
पंचशर कर रहे हर घड़ी आक्रमण |
समर्पण को नित नये प्रस्ताव हैं ,
मृग मरीचिका में भटक जाये न मन |///
सद्भावों की कामना लिए सरस्वती सुत की माँ सरस्वती को भावपूर्ण वंदना | कोटि आभार और शुभकामनाएं माँ शारदे की सुंदर अभ्यर्थना के लिए आदरनीय आलोक जी |
बहुत बहुत धन्यवाद आभार टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंवाह , प्रभावी रचना !
जवाब देंहटाएंसतीश जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंनमन ।
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