गीत
आओ आज वहां चलते हैं |
जहां प्यार की गंगा बहती , सब हंस कर मिलते जुलते हैं |
आओ आज वहां चलते हैं
छोटे छोटे घर झौंपड़ियाँ ,
छोटे छोटे स्वप्न सजीले | बस कैसे भी हो मैं कर दूं , कर
अपनी बिटिया के पीले |
हर दिन बस कल
की चिंता में ,
मिट्टी के
चूल्हे जलते हैं |
कलियों फूलों जैसा बचपन भविष्य खोजता गलियारों में | भाल लिखी रेखाएं कहतीं ,
सब कुछ गुम है अंधियारों में | मन को घुटन , पाँव को छाले , आँखों को आंसू मिलते हैं |
कहीं जैन मन्दिर , गुरु द्वारे ,
साईं बाबा शिरडी
वाले |
कहीं चर्च, शिव मन्दिर,
मस्जिद ,
बौद्ध मठों के भवन
निराले |
कहीं न कोई भेद मनों
में ,
बस
मीठे रिश्ते पलते हैं |
कोई धर्म जाति हो कोई , पर मन गंगा जैसा निर्मल |
कितने भी अभाव सन्मुख हों ,
डिगता नहीं सत्य का आँचल |
श्रम- मन्दिर की पूजा ,जिसमें -
आशा
के दीपक बलते हैं |
बहुत सुंदर, मन में आशाओं के स्वप्न जगाती रचना। सादर प्रणाम सर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार मीना जी
जवाब देंहटाएंछोटे छोटे घर झौंपड़ियाँ ,
जवाब देंहटाएंछोटे छोटे स्वप्न सजीले | बस कैसे भी हो मैं कर दूं , कर अपनी बिटिया के पीले |
हर दिन बस कल की चिंता में ,
मिट्टी के चूल्हे जलते हैं |
बहुत बहुत धन्यवाद आभार रेणु जी
हटाएंआदरणीय आलोक जी,बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है और राम राज्य सा स्वपन संजोये कवि की कल्पना का अद्भूत संसार है।काश इतना आसान होता सरलता और सादगी भरे इन गलियारों तक पहुँचना।हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार रेणु जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार मनोज जी।
जवाब देंहटाएंछोटे छोटे घर झौंपड़ियाँ ,
जवाब देंहटाएंछोटे छोटे स्वप्न सजीले | बस कैसे भी हो मैं कर दूं , कर अपनी बिटिया के पीले |
हर दिन बस कल की चिंता में ,
मिट्टी के चूल्हे जलते हैं |
ये रिश्तों का अपनापन , निर्मल पन और प्रेम की बहती गंगा वहीं मिलती है जहाँ नितांत अभाव हैं ..
ऐसे अभावग्रस्त जिन्दगियों में ही सौहार्द बचा है सम्पन्नता में तो बस अहंकार ंर द्वेष ही मिलेगा
बहुत ही लाजवाब सृजन।
वाह!!!
बिलकुल सही बात कही है आपने | बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुधा जी |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन, आलोक भाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार ज्योति जी
हटाएंअत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार विश्व मोहन जी
हटाएंअनुपम रिश्तों के डोर में बांधती उत्तम रचना । शुभकामनाएं आपको।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार जिज्ञासा जी
हटाएं